कठोर वचन
क्यूँ मनुष्य कठोर व कटु वचन कहता है
अपने मित्रों, बंधुओं व स्वजनों से दूर होता है
क्या ये संस्कारों के प्रदुषण का सूचक है
या मिथ्या अभिमान और मानशिक अशिक्षा का द्योतक है
भगवान श्री कृष्ण ने भागवत गीता मे कहा है
संसार मे सिर्फ देवगण या राक्षसगण प्रवृति वाले
मनुष्य हैं
और वे तामशिक, राजशिक या सात्विक गुणों के अधिपति
होते हैं
और मनुष्यों के सारे संस्कार, इन्ही तीनों गुणों
से प्रेरित होते हैं
अगर हमें अपने गुणों और संस्कारों से उपर उठना है
तो मृदु वचन, क्षमाशील और भागवत् भजन करना है
सुमन सरन सिन्हा
मार्च १५,२००९
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