Tuesday, June 5, 2012


संगीत

जब रोम रोम करे भागवद गीत

तब वो है प्रभु सेवा और अविरल संगीत

संगीत मे है नीरसता का शोषण

जो करता है अध्यात्मिक मन का पोषण

संगीत करती है शांत, अतृप्त आत्मा

और करती है जागृत, सुप्त परमात्मा

संपूर्ण ब्रह्माण्ड है  ध्वनित संगीत से

नटवर का नृत्य हो या नारद के गीत से

संगीत बिन, मनुष्य जड़ सामान

जैसे जल बिन मछली और तीर बिन कमान

करें श्रवण संगीत का लेकर प्रभु का नाम

मिलेगा परमशान्ति, सुख और होगा कल्याण

सुमन सरन सिन्हा 
मार्च २२,२००९ 

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