संगीत
जब रोम रोम करे भागवद गीत
तब वो है प्रभु सेवा और अविरल संगीत
संगीत मे है नीरसता का शोषण
जो करता है अध्यात्मिक मन का पोषण
संगीत करती है शांत, अतृप्त आत्मा
और करती है जागृत, सुप्त परमात्मा
संपूर्ण ब्रह्माण्ड है ध्वनित संगीत से
नटवर का नृत्य हो या नारद के गीत से
संगीत बिन, मनुष्य जड़ सामान
जैसे जल बिन मछली और तीर बिन कमान
करें श्रवण संगीत का लेकर प्रभु का नाम
मिलेगा परमशान्ति, सुख और होगा कल्याण
सुमन सरन सिन्हा
मार्च २२,२००९
No comments:
Post a Comment