Monday, September 17, 2012

होली 

लहरा रही है चहुँ ओर, खुशियों  की दामन और चोली 
आओ इस वसंत के आगोह में, खुलकर खेलें होली 

बन्दुओं, बांधवों के संग  मिलकर, गीत मिलन के गाएं
स्वाद वो रसों की करें बारिश, और पूरी वो पकवान मिलकर खाएं 

चैती, फगुआ और  ठुमरी से,  हो वातावरण परिणित 
पायल की हो झंकार, और मन  के तार हो झंकृत 

राग, द्वेष  और ईर्ष्या का हो रंग, बदरंग 
और मन  हो प्यार,सध्भाव्नाओ और, भाईचारे के संग

तभी बनेगा संपूर्ण विश्व इक टोली  
गायेंगे हमसब मिलकर गीत मिलन के, उस होली 

सुमन सरन सिन्हा 
मार्च  १०, २०१२ 

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