Friday, November 2, 2012

शिक्षा 

मैने आज अपने मानसिक मंजुषा से, एक अनमोल रत्न निकाला  है 
जो की शिक्षा मे भी, शिक्षित होने का मर्म बताता है 

लोग करते हैं अभिमान और समझते हैं की हो गये शिक्षित 
और इसी धोखे मे भरे पड़े रहते हैं, और होते हैं वास्तविक मे अशिक्षित

वैसे तो वाकपटु , चापलूसों  और मौकापरस्तों से दुनिया भरी पड़ी है 
जिन्हें सिर्फ अपने बारे मे व अपना मान सम्मान, दुःख और दर्द की पड़ी है 

ऐसे लोग ही समझे जाते हैं इस युग मे ज्ञानी, और होती है उनकी इज्जत 
होते हैं प्रतिष्ठित समाज मे, और पाते हैं मान सम्मान की लज्जत 

मगर  जो हैं वास्तविक मे शिक्षित, और शिक्षा का मायने समझते हैं 
क्रोध, अभिमान, लालच, इर्ष्या और वैमनस्यता से कोषों दूर रहते हैं 

समर्थ ज्ञान एक ऐसी चीज है, जिसे छुपाने से छुपाया नही जा सकता है 
जो है स्वयंग अवलोकित, उसे प्रकाशित नही किया जा सकता है 

सच्चा ज्ञान, विज्ञान व मन की सुन्दरता, करती है जग को आलोकित 
जैसे रश्मिरथी करती है अष्ट अश्वों पे चढ़, जग को प्रकाशित 

सुमन सरन सिन्हा 
रविवार, अक्टूबर  28, 2012 

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